संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराण – बदरिकाश्रम-महात्म्य
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संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराण
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मेरुतीर्थ, लोकपालतीर्थ, दण्डपुष्करिणी, गंगा संगम तथा धर्मक्षेत्र आदि का माहात्म्य और ग्रन्थ का उपसंहार…(भाग 2)
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तब भगवान् विष्णु ने प्रसन्न होकर देवताओं से कहा- ‘तुमलोग कोई वर माँगो।’ यह आज्ञा पाकर देवताओं ने वरदाताओं में श्रेष्ठ श्रीहरि से कहा- ‘आप देवताओं के भी देवता और साक्षात् लक्ष्मीपति हैं। यदि आप सन्तुष्ट हैं तो हम यही चाहते हैं कि आप बदरीतीर्थ और मेरुपर्वत का कभी त्याग न करें। जो पुण्यभागी मनुष्य यहाँ मेरु-शिखर का दर्शन करते हैं, आपके प्रसाद से उनका मेरुगिरि पर निवास हो और वहाँ चिरकाल तक उत्तम भोग भोगने के पश्चात् उनका आपमें लय हो।’ तब ‘एवमस्तु’ कहकर भगवान् श्रीहरि अन्तर्धान हो गये।

इसके पश्चात् परम उत्तम लोकपाल तीर्थ है जहाँ भगवान् विष्णु ने स्वयं ही लोकपालों को स्थापित किया है। एक समय भगवान् विष्णु मेरुनिवासी देवताओं को यहाँ लाने की इच्छा से वहाँ गये और देवताओं तथा प्रधान-प्रधान ऋषियों के चरित्र को देखने के लिये उद्यत हुए।
भगवान् को वहाँ उपस्थित देख सब देवताओं ने सहसा उठकर नमस्कार किया और विनयपूर्वक कहा- ‘भगवन् ! प्रसन्न होइये।’ क्षणभर विश्राम करने के पश्चात् भगवान ने वहाँ की विरल भूमि को भलीभाँति देखा और देवताओं तथा ऋषियों का वहाँ एक साथ रहना उचित न समझकर हँसते हुए कहा- ‘लोकपालो! आपको यहाँ नहीं रहना चाहिये।

आपलोगों के योग्य स्थान की व्यवस्था मैंने पहले से ही कर रखी है।’ यों कहकर उन्होंने लोकपालों को बुलाया और बदरीक्षेत्र में सुन्दर पर्वत के शिखर पर स्थापित किया। वहीं जल की इच्छा से उन्होंने शैलदण्ड के द्वारा एक पर्वत को तोड़कर मनोहर सरोवर बनाया जहाँ भगवान् विष्णु द्वादशी और पूर्णिमा को स्नान करने के लिये आते हैं।
क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी

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*इस मूर्ति को गौर से देखो… ✍🏻*

*यह विष्णु भगवान के वराह अवतार की है, जिसमे वह पृथ्वी को समुद्र में से निकालते हुए दिखाए गए है,*
*अब सबसे बड़ा आश्चर्य ये होता है की इसमें पृथ्वी का आकार गोल दिखाया गया,*
*और दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500 600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है,*
*सनातन का गौरवपूर्ण इतिहास अपनी चीख चीख कर गवाही दे रहा है,*

*इसी लिए तो हमारे विषय का नाम भी भू गोल रखा, भू चपटे भी रख सकते थे, क्योंकि हमे ज्ञान था की पृथ्वी किस आकार की है…!*
*सनातन का इतिहास तो पत्थरो पर लिखा हुआ है.…*
*सुंदरता देखनी हो तो यूरोप जाओ और अगर सुंदरता के साथ साथ आश्चर्य भी देखना हो तो हमारे मंदिर आओ…*