!! लक्ष्य !!
एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक मेहनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा रहा और बहुत सारा पैसा कमा लिया। इसी बीच उसकी मुलाकात एक विद्वान से हो गई। विद्वान के ऐश्वर्य को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और अब उसने विद्वान बंनने का निश्चय कर लिया और अगले ही दिन से धन कमाने को छोड़कर पढने-लिखने में लग गया।

वह अभी अक्षर ज्ञान ही सिख पाया था, की इसी बीच उसकी मुलाकात एक संगीतज्ञ से हो गई। उसको संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, इसीलिए उसी दिन से उसने पढाई बंद कर दी और संगीत सिखने में लग गया। इसी तरह काफी उम्र बित गई, न वह धनी हो सका ना विद्वान और ना ही एक अच्छा संगीतज्ञ बन पाया। तब उसे बड़ा दुख हुआ। एक दिन उसकी मुलाकात एक बहुत बड़े महात्मा से हुई। उसने महात्मन को अपने दुःख का कारण बताया।

महात्मा ने उसकी परेशानी सुनी और मुस्कुराकर बोले, “बेटा, दुनिया बड़ी ही चिकनी है, जहाँ भी जाओगे कोई ना कोई आकर्षण ज़रूर दिखाई देगा। एक निश्चय कर लो और फिर जीते जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हें सफलता की प्राप्ति अवश्य हो जाएगी, नहीं तो दुनियां के झमेलों में यूँ ही चक्कर खाते रहोगे। बार-बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नत्ति नहीं कर पाओगे।” युवक महात्मां की बात को समझ गया और एक लक्ष्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा।

शिक्षा:👉 हमें भी शुरुआत से ही एक लक्ष्य बनाकर उसी के अनुरूप मेहनत करना चाहिए। इधर-उधर भटकने की बजाय एक ही जगह, एक ही लक्ष्य पर डटे रहने से ही सफलता व उन्नति प्राप्त की जा सकती हैं।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक – 16 दिसम्बर 2024*

*⛅दिनांक – 16 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*⛅मास – पौष*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – प्रतिपदा दोपहर 12:27 तक, तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 01:13 दिसम्बर 17 तक, तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग – शुक्ल रात्रि 11:23 तक, तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल – प्रातः 08:34 से प्रातः 09:55 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:17*
*⛅सूर्यास्त – 05:52*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:27 से प्रातः 06:21 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:14 से दोपहर 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 दिसम्बर 17 से रात्रि 01:02 दिसम्बर 17 तक*
*⛅विशेष – प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*