
*🔹सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना🔹*
*🔸रात को भिगोयी हुई १ चम्मच उड़द की डाल सुबह महीन पीसकर उसमें २ चम्मच शुद्ध शहद मिला के चाटें । १ – १.३० घंटे बाद मिश्रीयुक्त दूध पियें । पूरी सर्दी यह प्रयोग करने से शरीर बलिष्ठ और सुडौल बनता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है ।*
*🔸दूध के साथ शतावरी का २ – ३ ग्राम चूर्ण लेने से दुबले-पतले व्यक्ति, विशेषत: महिलाएँ कुछ ही दिनों में पुष्ट जो जाती हैं । यह चूर्ण स्नायु संस्थान को भी शक्ति देता हैं ।*

*🔸रात को भिगोयी हुई ५ – ७ खजूर सुबह खाकर दूध पीना या सिंघाड़े का देशी घी में बना हलवा खाना शरीर के लिए पुष्टिकारक है ।*
*🔸रोज रात को सोते समय भुनी हुई सौंफ खाकर पानी पीने से दिमाग तथा आँखों की कमजोरी में लाभ होता है ।*
*🔸आँवला चूर्ण, घी तथा शहद समान मात्रा में मिलाकर रख लें । रोज सुबह एक चम्मच खाने से शरीर के बल, नेत्रज्योति, वीर्य तथा कांति में वृद्धि होती है ।हड्डियाँ मजबूत बनती हैं ।*
*🔸१०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलाकर मिट्टी के पात्र में रख दें । सुबह ३ ग्राम चूर्ण दूध के साथ नियमित लेने से कुछ ही दिनों में बल-वीर्य की वृद्धि होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है ।*
*🔸शक्तिवर्धक खीर : ३ चम्मच गेहूँ का दलिया व २ चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें । प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें । आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं । यह खीर शक्तिवर्धक है ।*
*🔸हड्डी जोडनेवाला हलवा : गेहूँ के आटे में गुड व ५ ग्राम बला चूर्ण डाल के बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाति है । दर्द में भी आराम होता है ।*

*🔸सर्दियों में हरी अथवा सुखी मेथी का सेवन करने से शरीर के ८० प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।*
*🔸सब प्रकार के उदर-रोगों में मठ्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है । (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं ।)*

त्वचा रोग का घरेलु समाधान
दाद, खाज, खुजली या कोई भी त्वचा रोग का परम्परागत एवं प्राकृतिक संहारक अद्भुत तेल बनाने की विधि…
घटक👉
1. चिरायता
2. हल्दी
3. नीम की छाल
4. लाल चन्दन
5. हरड़
6. बहेड़ा
7. आंवला
8. अडूसे के पत्ते

बनाने की बिधि👉 उपरोक्त सभी चीजो को समान मात्रा में ले और सभी सामग्री को 5 से 6 घंटे के लिए पानी में भिगो दे,
इसके बाद इसे निकाल कर इसको पीस कर लुगदी बना ले।
जितनी मात्रा लुगदी (कल्क) की हो,
उस से चार गुना तिल्ली का तेल और
तेल से चार गुनी मात्रा में पानी मिला कर एक बड़े बर्तन में डाले।
फिर इसे धीमी-धीमी आंच पर इतनी देर पकाए कि पानी जल जाए और सिर्फ तेल बचे। अब इस तेल को शीशी में भर कर रख लें। जहाँ भी खुजली हो, दाद हो वहाँ या पूरे शरीर पर इस तेल की मलिश करें।
यह तेल चमत्कारी प्रभाव करता है।
लाभ होने तक यह मालिश जारी रखें।
मालिश स्नान से पहले या सोते समय करें और चमत्कार देखें।

कारण👉 खून की खराबी के कारण खुजली हो जाती है।
यह रोग अधिक खतरनाक नहीं है, लेकिन यदि असावधानी बरती जाती है तो यह रोग जटिल बन जाता है। इसलिए रोगी को खाने-पीने के मामले में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
जहां तक हो सके, बाजार के खुले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि रोग बड़े पैमाने पर हो तो नमक और नमकीन चीजों को खाना बंद कर दें इसके साथ-साथ इमली, अचार, नीबू, टमाटर, तेल, लाल मिर्च, चाय आदि का सेवन त्याग देना चाहिए।
यह एक संक्रामक रोग है यदि घर में किसी एक व्यक्ति को खुजली हो जाती है तो यह धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्यों को घेर लेती है।
यह गरम चीजें खाने, छूने, श्वास के साथ जीवाणु फैलने, गलत इंजेक्शन लगवाने, शराब पीने, गुटका या पान तम्बाकू खाने आदि के कारण भी हो जाती है।
त्वचा पर लाल रंग के चित्तीदार दाने निकल आते हैं और इनमें बहुत अधिक खुजली होती है।
रोगी उसे खुजाते खुजाते दु:खी हो जाता है, खुजली में जलन होती है तथा धीरे-धीरे लाल ददोरे पड़ जाते हैं।
कई बार खुजाते हुए ददोरे छिल जाते हैं और उनमें से खून निकल आता है।
पक जाने पर पतला पानी-सा पीप रिसने लगता है।

*🌞मेरे श्रीराम आए है तो द्वारिकाधीश भी आएंगे🌞*
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Disclaimer: Before using all ,Please take advice of your doctors also because every person has own way for treatment.