Skip to content

°°°°❣️🌼💧ये तन बहुत दुर्लभ है।

*🔅🔆🚩चिंतन प्रवाह🚩🔆🔅*

_*यज्ञ, दान, तप, तीर्थ, व्रत आदि तो क्रियाएँ हैं, पर भगवन्नाम का जप क्रिया नहीं है, प्रत्युत पुकार है। जैसे किसी को डाकू मिल जाय और वह लूटने लगे, मारपीट करने लगे तो अपने में छूटने की शक्ति न देख कर वह रक्षा के लिये पुकारता है तो यह पुकार क्रिया नहीं है। पुकार में अपनी क्रिया का, अपने बल का भरोसा अथवा अभिमान नहीं होता। इसमें भरोसा उसका होता है, जिसको पुकारा जाता है। अतः पुकार में अपनी क्रिया मुख्य नहीं है, प्रत्युत भगवान से अपनेपन का सम्बन्ध मुख्य है।*_

   🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

*🙏मंगलमय दिवस की शुभकामनाएं🙏*

°°°°❣️🌼💧ये तन बहुत दुर्लभ है।

ये तन बहुत दुर्लभ है। लेकिन बड़ी गड़बड़ है कि ये पता नहीं कब छिन जाय। किसी के शरीर का एक क्षण का भरोसा नहीं। वो भले ही भीमसेन हो, कोई हो।अरे ! मैं बिल्कुल स्वस्थ हूँ, ये स्वस्थता नहीं काम देगी। मृत्यु निश्चित है जिस क्षण में होना है वो होगी उसे कोई रोक नहीं सकता। महापुरुष भी जायेगा संसार से। और तो और भगवान् भी जाते हैं टाईम पर। वो चाहे महापुरुष हो वो चाहे कोई हो। सब को जाना पड़ेगा और वो कब आयेगा टाईम, ये नहीं मालूम, ये बताया नहीं जायेगा। इसलिये हर समय सावधान रहना चाहिये। बड़े-बड़े योगीन्द्र, मुनीन्द्र हुए हैं महापुरुषों के दादा हुए हैं। सबको जाना पड़ेगा। अरे भगवान् को भी जाना पड़ता है, जबरदस्ती न सही स्वेच्छा से जा रहे हैं, जायेंगे। आप लोगों ने गौरांग महाप्रभु का नाम सुना होगा। चौबीस साल में वैराग्य हुआ। एक्टिंग का वैराग्य, दो प्रकार का वैराग्य होता है। एक वैराग्य का नाटक किया जाता है। वह पहले से ही सिद्धों का दादा है। और फिर छः साल महाप्रभु जी ने तीर्थाटन किया, और अठारह साल पुरी में रहे, और इच्छा हो गई चलो गोलोक, अड़तालीस साल की आयु में चले गये गोलोक।

महापुरुष और भगवान् को यमराज ले नहीं जाता। उनके सामने खड़ा होता है याद दिलाता है कि आपने इतने दिन के लिये कहा था अब उतने दिन आपके पूरे हो गये याद दिलाने आया हूँ। तो यमराज के सिर पर पैर रखकर के महापुरुष और भगवान गोलोक जाते हैं। लेकिन जाते सब हैं। और फिर मायाबद्ध का तो बँधा हुआ है टाईम उसको तो पकड़ के ले जाता है यमराज क्योंकि वह तो गुनाहगार है, अपराधी है, कैदी है। कैदी को कैसे ले जाते हैं पुलिस वाले, आप देखते होंगे और जब डॉक्टर जाता है जेल में, या पुलिस वाले जाते हैं, या मिनिस्टर जाता है तो वह अपनी शान से जाते हैं। कैदियों की भलाई के लिये भगवान् भी आते हैं, महापुरुष भी अवतार लेकर आते हैं। तो कल, कल करना बन्द करो। अभी से प्रारम्भ करना है, क्योंकि यह उधार करते-करते तो अनन्त जन्म बीत गये, अनन्त जन्म और यह मानव देह छिनता गया। फिर करोड़ों कल्प चौरासी लाख में घोर दुःख भोगना पड़ा। फिर –

                                 ” कबहुँक करि करुणा नर देही,”

फिर कभी भगवान् ने दया करके मानव देह दिया और आप लोगों ने गर्भ में वादा किया कि महाराज बहुत दु:ख मिल रहा है इस माँ के पेट में, गन्दगी में, सिर नीचे पैर ऊपर कितना कोमल शरीर, हमको निकालो, आपका ही भजन करेंगे अबकी बार। और बाहर आया मम्मी ने कहा ए मेरा भजन कर, पापा ने कहा ए मैं तेरा हूँ। यह सब लोगों ने धोखा देकर उसको बेचारे को बेवकूफ बना दिया। और वह भगवान् को भूलकर इन लोगों को भजने लगा। और अगर कहीं जागा भी, कोई संत मिल गया और जगा दिया तो। कल से करेंगे, अवश्य करेंगे अवश्य आज जरा काम आ गया कल से करेंगे अवश्य।

“तन का भरोसा नहीं गोविंद राधे।

        जाने कब काल तेरा तन छिनवा दे॥”

इस तन का भरोसा करके और हम आराम से संसार में भाग रहे हैं। बड़े-बड़े प्लान बनाते हैं, पंचवर्षीय, दसवर्षीय, पचासवर्षीय इन्श्योरेन्स कराते हैं अभी हम बीस साल के हैं, पच्चीस साल का इन्श्योरेन्स करा लो, और डरते भी जाते हैं। लेकिन गलत काम नहीं छोड़ते। सही काम छोड़ देते हैं। भगवान् की भक्ति करना है और इधर रुपया मिलेगा। आज कौन-सा काम करोगे ? रुपए वाला। क्यों? उसमें आनन्द है। भगवान् में आनन्द है ये बात तुम नहीं मानते। मानते तो हैं। क्या मानते हो? अगर सचमुच मानते। भगवान् के कार्य को महत्त्व देते, उसको तुरन्त करते।

प्रवचनांश- जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज…!

                  🙏 राधे राधे 🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *