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भगवान शिव की पुत्री अशोक सुन्दरी

भगवान शिव की पुत्री अशोक सुन्दरी

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भगवान शिव की पुत्री का नाम अशोक सुन्दरी था। हालांकि महादेव की और भी पुत्रियाँ थीं जिन्हें नागकन्या माना गया–जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। अशोक सुन्दरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया इसीलिए वही गणेशजी की बहन है। इनका विवाह राजा नहुष से हुआ था।

यें भगवान शिव और माता पार्वती बेटी हैं यें भगवान कार्तिकेय से छोटी किन्तु गणेशजी, मनसा देवी, देवी ज्योति और भगवान अय्यपा से बड़ी हैं। महर्षि जरत्कारू और अश्विनी कुमार नासत्य इनके बहनोई हैं। महर्षि आस्तिक की मौसी हैं। देवसैना, वल्ली और ऋद्धि, सिद्धि की ननंद तथा संतोषी माता, क्षेम और लाभ की बुआ हैं।

पद्मपुराण अनुसार अशोक सुन्दरी देवकन्या हैं। माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पेड़ के द्वारा ही अशोक सुन्दरी की रचना हुई थी। एक बार माता पार्वती विश्व में सबसे सुन्दर उद्यान में जाने के लिए भगवान शिव से कहा। तब भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती को नन्दनवन ले गए। वहाँ माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और वे उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं।

कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है। पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने हेतु उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्हें एक कन्या प्राप्त हो। तब कल्पवृक्ष द्वारा एक कन्या का जन्म हुआ। कन्या माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने के लिये जन्मी थी इसलिये उनको नाम अशोक रखा गया और देखने में कन्या बहुत ही रूपवती सुन्दर थी इसिलिए उनका अशोक सुन्दरी हुआ। माता पार्वती ने अशोक सुन्दरी को वरदान दिया कि उसका विवाह देवराज इन्द्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा।

इसी वरदान के असर के कारण एक बार अशोक सुन्दरी अपनी दासियों के साथ नन्दनवन में विचरण कर रही थीं तभी वहाँ हुण्ड नामक राक्षस का आया। जो अशोक सुन्दरी की सुन्दरता से मोहित हो गया और उसने अशोक सुन्दरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।

लेकिन अशोक सुन्दरी ने अपने वरदान और विवाह के बारे में बताया कि उनका विवाह नहुष से ही होगा। यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा। ऐसा सुनकर अशोक सुन्दरी ने राक्षस को शाप दिया कि जा दुष्ट तेरी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी। यह सुनकर वह राक्षस घबरा गया। तब उसने राजकुमार नहुष का अपहरण कर लिया। लेकिन नहुष को राक्षस हुण्ड की एक दासी ने बचा लिया।

इस तरह महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़े हुए और उन्होंने हुण्ड का वध किया। इसके बाद नहुष तथा अशोक सुन्दरी का विवाह हुआ हुआ। विवाह के बाद अशोक सुन्दरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र तथा सौ रूपवती कन्याओं को जन्म दिया। ययाति भारत के चक्रवर्ती सम्राटों में से एक थे और उन्हीं के पांच पुत्रों से सम्पूर्ण भारत पर राज किया था। उनके पांच पुत्रों का नाम था–1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनन्द कहा गया है।

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