संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराण -कार्तिक मास-माहात्म्य
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कार्तिक मास-माहात्म्य

कार्तिकमास की श्रेष्ठता तथा उसमें करने योग्य स्नान, दान, भगवत्पूजन आदि धर्मों का महत्त्व…(भाग 2)
दान आदि करने में असमर्थ मनुष्य प्रतिदिन प्रसन्नता पूर्वक नियम से भगवन्नामों का स्मरण करे। कार्तिक में भगवान् विष्णु की प्रसन्नता के लिये विष्णु-मन्दिर अथवा शिव मन्दिर में रात को जागरण करे। शिव और विष्णु के मन्दिर न हों तो किसी भी देवता के
मन्दिर में जागरण करे। यदि दुर्गम वन में स्थित हो या विपत्तिमें पड़ा हो तो पीपल के वृक्ष की जड़ में अथवा तुलसी के वनों में जागरण करे। भगवान् विष्णुके समीप उन्हींके नामों और लीला-कथाओं का गायन करे। यदि आपत्ति में पड़ा हुआ मनुष्य कहीं अधिक जल न पावे अथवा रोगी होने के कारण जल से स्नान न कर सके तो भगवान् के नाम से मार्जनमात्र कर ले।

व्रत में स्थित हुआ पुरुष यदि उद्यापन की विधि करने में असमर्थ हो, तो व्रत की समाप्ति के बाद उसकी पूर्णता के लिये केवल ब्राह्मणों को भोजन करावे। जो स्वयं दीपदान करने में असमर्थ हो, वह दूसरे के बुझे हुए दीप को जला दे अथवा हवा आदि से यत्नपूर्वक उसकी रक्षा करे। भगवान् विष्णु की पूजा न हो सकने पर तुलसी अथवा आँवले का भगवद्बुद्धि से पूजन करे। मन-ही-मन भगवान् विष्णु के नामों का निरन्तर कीर्तन करता रहे।
गुरु के आदेश देने पर उनके वचन का कभी उल्लंघन न करे। यदि अपने ऊपर दुःख आदि आ पड़े तो गुरु की शरण में जाय। गुरु की प्रसन्नता से मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर लेता है। परम बुद्धिमान् कपिल और महातपस्वी सुमति भी अपने गुरु गौतम की सेवा से अमरत्व को प्राप्त हुए हैं। इसलिये विष्णु-भक्त पुरुष कार्तिक में सब प्रकार से प्रयत्न करके गुरु की सेवा करे।
ऐसा करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। सब दानों से बढ़कर कन्यादान है, उससे अधिक विद्यादान है, विद्यादान से भी गोदान का महत्त्व अधिक है और गोदान से भी बढ़कर अन्नदान है; क्योंकि यह समस्त संसार अन्न के आधार पर ही जीवित रहता है।

इसलिये कार्तिक में अन्नदान अवश्य करना चाहिये। कार्तिक में नियम का पालन करने पर अवश्य ही भगवान् विष्णु का सारूप्य एवं मोक्षदायक पद प्राप्त होता है। कार्तिक में ब्राह्मण पति-पत्नी को भोजन कराना चाहिये, चन्दन से उनका पूजन करना चाहिये, अनेक प्रकार के वस्त्र, रत्न और कम्बल देने चाहिये। ओढ़ने के साथ ही रूईदार बिछावन, जूता और छाता भी दान करने चाहिये।
क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी