श्री शिव महापुराण
श्रीवायवीय संहिता (उत्तरार्ध)
आठवां अध्याय
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व्यासावतार…(भाग 1)
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श्रीकृष्ण बोले- हे महर्षि ! अब आप वेदों का सार सुनाइए। यह सुनकर उपमन्यु बोले- हे श्रीकृष्ण! जब सर्वेश्वर शिव ने सृष्टि का निर्माण करने की इच्छा की, उस समय उन्होंने सर्वप्रथम ब्रह्माजी को पैदा किया और उन्हें सृष्टि रचने का उपदेश दिया। ब्रह्माजी ने वर्ण और आश्रम की व्यवस्था की। फिर यज्ञार्थ सोम रचना की। सोम द्वारा स्वर्ग बना। तत्पश्चात सूर्य, पृथ्वी, अनल, यज्ञ, विष्णु और इंद्र आदि देवता हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे।
परमात्मा ने जब देवताओं के ज्ञान का हरण कर लिया था, तब सब देवता भगवान रुद्र से पूछने लगे कि आप कौन हैं? तब रुद्र देव बोले- हे देवगण! मैं पुराण पुरुष त्रिकाल बाधित, भूत, भविष्य, वर्तमान में रहने वाला हूं। मैं ही सबका नियंता हूं। यह कहकर रुद्रदेव अंतर्धान हो गए। देवता आश्चर्यचकित होकर देखने लगे। फिर सोम मंत्र से आराध्य भगवान शिव और देवी पार्वती की वे स्तुति करने लगे।
देवताओं की स्तुति सुनकर देवाधिदेव महादेव जी ने देवी पार्वती सहित उन्हें दर्शन दिए। तब अपने सामने पाकर देवता उन्हें प्रणाम करने लगे और बोले- हे स्वामी! हमें अपने पूजन का विधान सुनाइए। यह सुनकर भगवान शिव ने अपने चतुर्मुखी तेजरूप का दर्शन कराया। शिवजी का अद्भुत स्वरूप देखकर देवताओं ने शिवजी को सूर्य और देवी पार्वती को चंद्रमा मानकर अर्घ्य प्रदान किया। तब देवताओं को शिव तत्व का अमृतमय ज्ञान देकर शिव-पार्वती अंतर्धान हो गए।

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक – 28 अक्टूबर 2024*

*⛅दिनांक – 28 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – एकादशी प्रातः 07:50 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 03:24 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग – ब्रह्म प्रातः 06:48 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल – प्रातः 08:08 से प्रातः 09:33 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:42*
*⛅सूर्यास्त – 06:06*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:01 से 05:52 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 28 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 29 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – गोवत्स द्वादशी, रमा एकादशी, ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबा जी का महानिर्वाण दिवस*
*⛅विशेष – एकादशी को सिम्बी (सेम) तथा द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
