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छठ पूजा 5 से 8 नवम्बर विशेष

छठ पूजा 5 से 8 नवम्बर विशेष

अभ्यावहति कल्याणं

विविधं वाक् सुभाषिता।

सैव दुर्भाषिता राजन्

अनर्थायोपपद्यते।।

(महाभारत, उद्योग पर्व – ३४/७७)

अर्थात् 👉 हे राजन्! मधुर शब्दों में कही हुई बात अनेक प्रकार से कल्याण करती है, किन्तु यही यदि कटु शब्दों में कही जाय तो महान अनर्थ का कारण बन जाती है।

*🌄🌄 प्रभात वंदन 🌄🌄*

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कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसिए व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। इसी कारण इस व्रत का नाम करण छठ व्रत हो गया। छठ पर्व षष्ठी तिथि का अपभ्रंश है।

सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। इस पर्व को वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है।

छठ पर्व में सूर्य और छठी मैया की पूजा

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छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाले देवता है, जो पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार हैं। सूर्य देव के साथ-साथ छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है।

सूर्य और छठी मैया का संबंध भाई बहन का है। मूलप्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इनका नाम षष्ठी पड़ा।  वह कार्तिकेय की पत्नी भी हैं। षष्ठी देवी देवताओं की देवसेना भी कही जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने की थी।

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो षष्ठी के दिन विशेष खगोलिय परिवर्तन होता है। तब सूर्य की पराबैगनी किरणें असामान्य रूप से एकत्र होती हैं और इनके कुप्रभावों से बचने के लिए सूर्य की ऊषा और प्रत्यूषा के रहते जल में खड़े रहकर छठ व्रत किया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।

शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है। पुराणों में इन्हें माँ कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है। षष्ठी देवी को ही बिहार-झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा गया है।

छठ पर्व परंपरा

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यह पर्व चार दिनों तक चलता है। भैया दूज के तीसरे दिन से यह आरंभ होता है। पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरंभ होता है। इस दिन रात में खीर बनती है। व्रतधारी रात में यह प्रसाद लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। इस पूजा में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है; लहसून, प्याज वर्ज्य है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं। आजकल कुछ नई रीतियां भी आरंभ हो गई हैं, जैसे पंडाल और सूर्य देवता की मूर्ति की स्थापना करना। उसपर भी रोषनाई पर काफी खर्च होता है और सुबह के अर्घ्य के उपरांत आयोजनकर्ता माईक पर चिल्लाकर प्रसाद मांगते हैं। पटाखे भी जलाए जाते हैं। कहीं-कहीं पर तो ऑर्केस्ट्रा का भी आयोजन होता है; परंतु साथ ही साथ दूध, फल, उदबत्ती भी बांटी जाती है। पूजा की तैयारी के लिए लोग मिलकर पूरे रास्ते की सफाई करते हैं।

छठ व्रत

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छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्रायः महिलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिला को परवैतिन भी कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रती फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं। पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की होती है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोंसाल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।’

ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। किंतु पुरुष भी यह व्रत पूरी निष्ठा से रखते हैं।

छठ पूजा विधि

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छठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें।

👉 बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास।

👉  चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी।

👉  नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई।

👉  प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि👉 बांस की टोकरी में उपरोक्त सामग्री रखें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

पहला दिन नहाय खाय

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पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाइ कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

दूसरे दिन लोहंडा और खरना

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दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य

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तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नीयत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।

चौथा दिन उषा अर्घ्य

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चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। व्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।

छठ पूजा का पौराणिक महत्त्व

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छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएँ प्रचलित हैं।

रामायण की मान्यता

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एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद प्राप्त किया था।

महाभारत की मान्यता

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एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।

कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।

पुराणों की मान्यता

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एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

छठ गीत

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लोकपर्व छठ के विभिन्न अवसरों पर जैसे प्रसाद बनाते समय, खरना के समय, अर्घ्य देने के लिए जाते हुए, अर्घ्य दान के समय और घाट से घर लौटते समय अनेकों सुमधुर और भक्ति भाव से पूर्ण लोकगीत गाए जाते हैं।

 गीत

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‘केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मे़ड़राय

काँच ही बाँस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’

सेविले चरन तोहार हे छठी मइया। महिमा तोहर अपार।

उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर।

निंदिया के मातल सुरुज अँखियो न खोले हे।

चार कोना के पोखरवा

हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी।

इस गीत में एक ऐसे ही तोते का जिक्र है जो केले के ऐसे ही एक गुच्छे के पास मंडरा रहा है। तोते को डराया जाता है कि अगर तुम इस पर चोंच मारोगे तो तुम्हारी शिकायत भगवान सूर्य से कर दी जाएगी जो तुम्हें माफ नही करेंगे। पर फिर भी तोता केले को जूठा कर देता है और सूर्य के कोप का भागी बनता है। पर उसकी भार्या सुगनी अब क्या करे बेचारी? कैसे सहे इस वियोग को ? अब तो ना देव या सूर्य कोई उसकी सहायता नहीं कर सकते आखिर पूजा की पवित्रता जो नष्ट की है उसने।

केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय

उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से सुगा देले जुठियाए

उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरझाय

उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से आदित होइ ना सहाय देव होइ ना सहाय

काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय… बहँगी लचकति जाय… बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय… बहँगी छठी माई के जाय… काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय… बहँगी लचकति जाय… केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय… ओह पर सुगा मेंड़राय… खबरि जनइबो अदित से सुगा देलें जूठियाय सुगा देलें जूठियाय… ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरझाय… सुगा गिरे मुरझाय… केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय… ओह पर सुगा मेंड़राय… पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर… नरियर किनबो जरूर… हाजीपुर से केरवा मँगाई के अरघ देबे जरूर… अरघ देबे जरुर… आदित मनायेब छठ परबिया बर मँगबे जरूर… बर मँगबे जरूर… पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर… नरियर किनबो जरूर… पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर… लछमी मँगबे जरूर… पान सुपारी कचवनिया छठ पूजबे जरूर… छठ पूजबे जरूर… हियरा के करबो रे कंचन वर मँगबे जरूर… वर मँगबे जरूर… पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर… लछमी मँगबे जरूर… पुआ पकवान कचवनिया सूपवा भरबे जरूर… सूपवा भरबे जरूर… फर फूल भरबे दउरिया सेनूरा टिकबे जरूर… सेनूरा टिकबे जरुर… उहवें जे बाड़ी छठि मईया आदित रिझबे जरूर… आदित रिझबे जरूर… काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय… बहँगी लचकति जाय… बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय… बहँगी छठी माई के जाय..

छठ पूजा अर्घ्य मन्त्र समय

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ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।

अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ।।

पहला दिन

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मंगलवार 05 नवम्बर – नहाय-खाय👉 दिन शुक्रवार को छठ पूजा का प्रथम दिन है। ऋषिकेश में इस दिन सूर्योदय: 06:40 एवं सूर्यास्त: शाम 5:30 पर होगा। इस दिन से छठ पूजा का पर्व प्रारंभ हो जाता है।

दूसरा दिन

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बुधवार 06 नवम्बर – खरना👉 शनिवार को छठ पूजा का दूसरा दिन है। इसदिन सूर्योदय से सूर्यास्त लेकर सूर्यास्त तक अन्न और जल दोनों का त्याग करके उपवास किया जाता है। इस दिन सूर्योदय: 06:41 औऱ सूर्यास्त: शाम 05:29 पर ही होगा । दूसरे दिन के अंत में खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाता है। इसे व्रत करने वाले से लेकर परिवार के सभी लोगों में बांटा जाता है। रात में चांद को जल भी दिया जाता है।

तीसरा दिन

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तीसरे दिन गुरुवार 07 नवम्बर को संध्या समय में सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाता है। इसदिन भी पूरे दिन का उपवास किया जाता है। इस दिन सूर्योदय: 06:42 सूर्यास्त: शाम 05:28 पर होगा। तीसरे दिन शाम को सूर्यास्त से पहले सूर्य देवता को छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाता है।

चौथा दिन

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यह छठ पूजा का अंतिम दिना होता है। 08 नवम्बर , शुक्रवार की सुबह सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाएगा। यह छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य होता है जिसके बाद 36 घंटे के लंबे उपवास का समापन हो जाता है। इस दिन सूर्योदय: 06:43 तथा सूर्यास्त: 05:27 पर होगा।

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*आज का पंचांग और राशिफल`*

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05-नवम्बर-2024

वार :-मंगलवार

तिथि:-04चतुर्थी24:17

माह:-कार्तिक

पक्ष:-शुक्लपक्ष

विक्रम सम्वंत:-2081

शक सम्वंत:-1946

नक्षत्र:-ज्येष्ठा09:45

योग:-अतिगंड11:27

करण:-वणिज11:54

चन्द्रमा:-वृश्चिक 09:45/धनु

सूर्योदय:-06:41

सूर्यास्त:-17:36

दिशाशूल:-उत्तर

निवारण उपाय:-तिल का सेवन

ऋतु:-हेमंत ऋतु

गुलिक काल:-12:10से13:34

राहूकाल:-14:58से16:21

अभीजित:-11:48से12:33

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मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-आपका कोई काम लंबे समय से जो रुका था। बनने की राह आसान होगी। वर्तमान जॉब से निराशा महसूस करेंगे। घर में आपको परिवार जनों से एकता और प्यार देखने को मिलेगा। किसी ख़ास या क़रीबी व्यक्ति से आपके संबंधों में कटुता आ गई है तो आज आप प्रयास करके संबंधों को बेहतर बना सकते हैं। शॉपिंग इत्यादि पर आज आपका धन खर्च होगा परंतु जो वस्तुएं आपके मतलब की नहीं है उस पर पैसा व्यर्थ ना खराब करें।

वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो) :-

आज आपकी ऊर्जा का स्तर बेहतर रहेगा। आपका काम दूसरों को आपकी तरफ आकर्षित करेगा। मन में भावुकता रहेगी। स्वयं पर विश्वास रखें और कर्म करते रहें, भाग्य का साथ मिलता रहेगा। बोलचाल में निखार बढ़ने से कार्य आसानी से होंगे। आप किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकते हैं। भाइयों और दोस्तों से सकारात्मक सहयोग मिलेगा। नया वाहन इत्यादि खरीदने की योजना बना सकते हैं। आपके कुछ खास आपको चिंता दे सकते हैं।

मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा) :-स्नेहीजन के साथ हुई भेंट अथवा बातचीत से आपका मन प्रसन्न होगा। परिवार के किसी सदस्य की सेहत को लेकर आप चिंतित रह सकते हैं लेकिन कुछ बातों को इग्नोर करके आज आप समस्याओं को खत्म करने की तरफ ध्यान दें। राजनीतिक-सामाजिक क्षेत्र में नए संपर्क बनेंगे। आज के दिन कार्यक्षेत्र में अत्यधिक परिश्रम से सफलता प्राप्ति के योग बनेंगे। आपको अपनी क्षमताओं को दिखाना होगा। जोश में आकर किसी से कोई वादा भी न करें।

कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो) :-व्यस्तता की वजह से आप अपने परिवार पर अधिक ध्यान नहीं दे पाएंगे। परिवार के लोगों की नाराजगी आपको झेलनी पड़ सकती है। घर पर रहकर अधिक से अधिक समय बच्चों के साथ व्यतीत करें। सोशल मीडिया का प्रयोग कम से कम करें। कार्यक्षेत्र में आपका प्रभाव व दबदबा बना रहेगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति की राय आपके लिए भाग्य उदय कारक साबित होगी। आपको अपने काम करने के तौर-तरीके में कुछ बदलाव लाने की आवश्यकता है।

सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे) :-आज कामकाज में पूरी सक्रियता और सहभागिता दिखानी होगी, मगर क्रोध पर नियंत्रण रखें, इसके चलते विवाद की स्थिति बन सकती है। अनावश्यक खर्च को लेकर सचेत रहें। बड़े खर्च भविष्य की राह मुश्किल कर सकते हैं। आज के दिन मानसिक तौर पर मन अशांत रह सकता है। क्रोध से बचने का प्रयास करें। यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होगा। कार्यस्थल पर बढ़ रही जिम्मेदारियों को बोझ न समझें, यह आपके लिए प्रगति का संकेत हैं।

कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो) :-सामाजिक तथा अन्य क्षेत्रों में ख्याति या सम्मान प्राप्त होगा। सूझबूझ और धैर्य से टेंशन देने वाली परिस्थितियों को टालने में सक्रिय रहें। आप अपनी जीवनशैली को एक नए ढंग से व्यवस्थित करने की दिशा में कार्य करेंगे। बिजनेस में नए लोगों से मुलाकात होने की संभावना हैं। मानसिक तनाव रखने वाले व्यक्ति के साथ आज आपकी अनबन हो सकती हैं। कुछ समय योगा और मेडिटेशन करें।

तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते):-

अपनी जिमेदारियों के प्रति सचेत रहें, उन्हें पूरे समर्पण से निभाएं, इससे आपके जीवन में कई रुके हुए काम बन जाएंगे। यदि नौकरी से संबंधित कोई बदलाव चाहते हैं तो आज इस दिशा में कदम अवश्य उठाएं। व्यर्थ चिंताओं में आज का दिन खराब न करें। अपनी ऊर्जा और आइडियाज को उचित दिशा में लगाएं। बड़े खर्च भविष्य की राह मुश्किल कर सकते हैं। कोर्ट कचहरी के मामलों में सावधानियां बरतें।

वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-आपको शारीरिक क्षमताओं के अलावा मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाने की दिशा में काम करना चाहिए। आप पर नई जिम्‍मेदारी आने से व्‍यस्‍तता बढ़ सकती है। भाइयों और दोस्तों से सहयोग मिल सकता है। आज आपको कोई भी फैसला लेने से पहले बहुत सोच विचार करना चाहिए, जल्दबाजी में लिया गया निर्णय भविष्य में परेशानी खड़ी करेगा। वाहन चलाते समय सचेत रहें। आपके द्वारा किसी को चोट भी लग सकती है।

धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे):-किसी कारण मन में व्याकुलता रहेगी। आज के दिन आप शांत रहकर समय व्यतीत करना पसंद करेंगे। धन संबंधी लाभ रहेगा। धार्मिक कर्म से मन में शांति अनुभव होगी। राजनीति से जुड़े व्यक्तियों के मन में उथलपुथल रहेगी। आप सूझबूझ और कूटनीति से काम लेंगे तो आ रही उलझनों से पीछा छूट जाएगा। वाहन का प्रयोग सावधानीपूर्वक करें। कामों में सफलता ना मिलने की वजह से स्वभाव में कुछ चिड़चिड़ापन रहेगा।

मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि) :-आज का दिन आप दूसरों की सेवा में व्यतीत करेंगे, इसके लिए आपको अत्यधिक भागदौड़ भी करनी पड़ेगी। आप संतुष्टि महसूस करेंगे। आज सेहत संबंधी परेशानियां से आपको निजात मिलेगी। घर में कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खराब हो सकता है। युवा वर्ग लक्ष्य के प्रति गंभीरता से प्रयास करें। परिवार में पिता की सलाह महत्वपूर्ण है, उनके बताए अनुसार काम करने या निर्णय लेना लाभकारी होगा।

कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा) :-कुछ व्यर्थ की बातों को लेकर आपका मन कुछ दुविधायुक्त रह सकता हैं। संतान का जिद्दी पन और बेपरवाह होना आपको परेशान कर सकता है। उधार दिया धन वापस आने में समय लग सकता है। काम का बोझ बढ़ने के बावजूद उसे कुशलता से पूरा कर लेंगे। वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। छोटी यात्राओं से आनंद की अनुभूति होगी। घर में कुछ नया इलेक्ट्रॉनिक का सामान लाएंगे।

मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :-आज के दिन आप कुछ संवेदनशील रहेंगे। अपने आपको व्यस्त रखने का प्रयास करें। आपकी भावुकता और उदारता जैसी कमजोरी की वजह से कुछ लोग फायदा उठा सकते हैं। आज मानसिक भार कुछ कम होगा। कुछ देर अपने लिए समय निकालें। कुछ नए विषय पर काम कर रहे हैं तो आपके लिए आज दिन शुभ रहेगा। निकट भविष्य में प्रमोशन की भी संभावनाएं बन रही हैं। आप व्यर्थ के खर्चों से परेशान हो सकते हैं।*आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।*

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